चुनावी मौसम में दिल्ली में फैला ‘राजनैतिक कूड़ा’, कूड़े का ‘पहाड़’ दे रहा कुतुबमीनार को टक्कर!
दिल्ली के गाजीपुर में कूड़े का पहाड़ देश की राजधानी के लिए वर्षों से शर्मिंदगी का विषय बना हुआ है. दिल्ली की गाजीपुर लैंडफिल साइट में रविवार शाम करीब साढे 5 बजे आग लग गई. धीरे-धीरे ये आग भीषण हो गई.
दिल्ली के गाजीपुर में कूड़े का पहाड़ देश की राजधानी के लिए वर्षों से शर्मिंदगी का विषय बना हुआ है. दिल्ली की गाजीपुर लैंडफिल साइट में रविवार शाम करीब साढे 5 बजे आग लग गई. धीरे-धीरे ये आग भीषण हो गई. और इससे उठने वाले धुएं ने यहां की हवा को जहरीली बना दिया. हालात ये हैं कि दमघोंटू हवा में अब आसपास के लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. चुनावी मौसम में राजनीतिक कूड़ा दिल्ली के लिए मुसीबत बन गया है. हम इसे राजनैतिक कूड़ा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दिल्ली वालों को इससे छुटकारा दिलाने की बजाय नेता इस पर सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं.
इस बारे में जब दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी में कूड़े के पहाड़ को साफ करने की नियत ही नहीं है, मशीनें खराब हैं आम आदमी पार्टी के नेता सिर्फ वादे करते हैं, आसपास के रहने वाले लोग और मयूर विहार से लेकर कोंडली के लोग इससे परेशान हैं. अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनती है, तो 1 साल के अंदर कूड़े के पहाड़ को खत्म करने काम किया जाएगा.
MCD की मेयर शैली ओबेरॉय ने कहा..
MCD की मेयर शैली ओबेरॉय ने कहा कि भाजपा लगातार राजनीतिकरण कर रही है, ये गंभीर मुद्दा है. यहां आग लगी तो मेरी ग़ैर मौजूदगी में डिप्टी मेयर यहां पहुंचे उन्होंने यहां पर परिस्थितियों की रेकी की. यहां पर लगातार मशीनों के जरिए काम हो रहा है. 15 साल तक तो एमसीडी भाजपा के ही हाथ में थी, तब उन्होंने स्थिति क्यों नहीं सुधारी. स्टैंडिंग कमेटी के गठन न होने के पीछे का एक बड़ा कारण है भाजपा का असहयोग.
गैस चैंबर बना पूरा इलाका
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. जब दिल्ली के किसी लैंडफिल साइट पर आग लगी हो. हर साल गर्मियों में इस कूड़े के पहाड़ में आग लगती है. इसकी वजह से इलाके के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अभी भी इस कूड़े के पहाड़ के चारों तरफ जहरीला धुआं फैला है. और ये पूरा इलाका गैस चैंबर बना हुआ है.
हर साल आग लगती है
राजनीतिक कूड़े का ये पहाड़ दिल्ली वालों के लिए ऐसी मुसीबत बन चुका है, जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. हर साल इसी तरीके से कूड़े के पहाड़ पर आग लगती है. और जहरीली हवा यहां के लोगों को बीमार बना देती है. प्रदूषण इतना ज्यादा है कि लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं. ज़ी न्यूज़ की टीम ने यहां आस पास की कॉलोनी में रहने वाले लोगों से बातचीत की. और उनकी परेशानियों को, सत्ता में बैठे उन लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है. जो दिल्ली के इस राजनीतिक कूड़े को हटाने का सिर्फ वादा ही करते हैं.
कुछ लोगों की जान भी जा चुकी है..
गाजीपुर के कचरे के पहाड़ में आग लगने के बाद से उनके घर की AC खराब पड़ गई है. उन्होंने अपने बच्चों को आज स्कूल तक नहीं भेजा है. हर साल इसी तरीके से आग लगती है और उनके घर के लोग इसी वजह से कई-कई महीनों तक बीमार रहते हैं. कुछ लोगों की जान भी जा चुकी है क्योंकि प्रदूषण इतना ज्यादा है और लोगों को बीमारियां हो रही हैं. हर बार माहेश्वरी किए जाते हैं लेकिन उसके ऊपर काम करने वाला कोई भी आदमी आता नहीं.
हवा और पानी दोनों दूषित..
कूड़े के इस पहाड़ की वजह से आस पास की हवा और पानी दोनों दूषित हो चुके हैं. इससे, उठने वाली बदबू और धुएं ने. लोगों की हालत ख़राब कर रखी है. लेकिन सत्ता और विपक्ष एक दूसरे पर सिर्फ आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं. राजनीतिक कूड़े का ये पहाड़ दिल्ली वालों के लिए सिरदर्द बन चुका है. लेकिन इससे छुटकारा दिलाने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा. दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी इसे साजिश बता रही हैं. जबकि बीजेपी लापरवाही का आरोप लगा रही है.
नेता सिर्फ बयानबाजी कर रहे..
नेता सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं. समस्या के समाधान पर कोई बात नहीं कर रहा है. और इसीलिए ये कूड़े का पहाड़, मुसीबत का पहाड़ बन गया है. क्योंकि हर Landfill साइट की एक उम्र होती है. यानी सरकार द्वारा एक समय निर्धारित किया जाता है, कि किस जगह पर कितने वर्षों तक कूड़ा डाला सकता है. और इस हिसाब से वर्ष 1984 में शुरू हुई, गाज़ीपुर लैंडफिल साइट को, वर्ष 2002 में बन्द हो जाना चाहिए था. लेकिन अब वर्ष 2024 आ चुका है, और 22 वर्ष बाद भी यहां कूड़ा डाला जा रहा है.
केजरीवाल ने किया था वादा..
सोचिए, हमारे देश में अगर सरकारें काम कर रही हैं, तो फिर जो लैंडफिल साइट 2002 में बन्द हो जानी चाहिए थी, वो 2024 में भी कैसे चल रही है? खुद दिल्ली के सीएम ने गाजीपुर लैंडफिल साइट को बंद करने का वादा किया था, लेकिन उनका वादा अभी तक पूरा नहीं हो सका. दिल्ली की लैंडफिल साइट पर गर्मियों में आग लगना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी कई बार इस कूड़े के पहाड़ पर आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं.
कई बार लग चुकी है आग
1 अप्रैल 2021 को गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लगी थी. उसके बाद 29 मार्च 2022 को यहां आग लगी. एक महीना भी नहीं बीता था, कि 20 अप्रैल 2022 को फिर आग लगने की घटना सामने आई. पिछले साल 12 जून को इस लैंडफिल साइट पर आग लगी थी. उसके बाद केजरीवाल सरकार ने इस समस्या से जल्दी छुटकारा दिलाने का वादा किया था. लेकिन इस वर्ष 21 अप्रैल को फिर गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लग गई.
आग लगने के ये हादसे आगे भी होते रहेंगे..
अगर समस्या का समाधान ढूंढा ही नहीं गया तो आग लगने के ये हादसे आगे भी होते रहेंगे. और हो सकता है कि एक दिन देश के बड़े-बड़े महानगर. कचरे के ढेर के नीचे ही दबे हुए मिलें. अगर लैंडफिल साइट को खत्म ना किया जाए. तो कचरे से पैदा होने वाली जहरीली गैसें हवा में जहर बनकर घुलने लगती हैं. ग्राउंड वॉटर को प्रदूषित कर देती हैं. और