मोदी सरकार के पहले 100 दिन क्यों होते हैं खास? गुजरात से चला आ रहा सिलसिला!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया है कि AI की मदद से 2047 के लिए विकसित भारत का प्लान तैयार कराया जा रहा है. उन्होंने नई सरकार के पहले 100 दिनों का प्लान भी तैयार कर लिया है. विपक्ष हमलावर है लेकिन सोशल मीडिया पर शेयर की गई एक पोस्ट से पता चलता है कि यह मोदी का अपना स्टाइल रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैलियों और इंटरव्यू में बता रहे हैं कि उन्होंने नई सरकार के 100 दिन का एजेंडा भी तैयार कर लिया है. इसके लिए उन्होंने मंत्रालयों के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी. काफी चर्चा हुई, लोगों के सुझाव लिए गए. वह मिशन 2047 की भी बातें कर रहे हैं. यह सब तब है जब अभी चुनाव शुरू भी नहीं हुए और मोदी लोकसभा चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. नई सरकार के 100 दिन के प्लान की काफी चर्चा है. ऐसा क्या है जो अभी से तैयार हो गया? विपक्ष सवाल खड़े कर रहा हैं. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पीएम मोदी पहले से ही सचिवों को बुला कर अगले पांच वर्षों के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर रहे, इस तरह का अति-आत्मविश्वास और अहंकार देश और लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. इस बीच मोदी आकाईव एक्स हैंडल से अखबार की एक कतरन शेयर की गई है जो सोशल मीडिया पर वायरल है
दरअसल, यह गुजराती में प्रकाशित पुरानी रिपोर्ट है. 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी. मोदी आकाईव एक्स हैंडल पर बताया गया है कि नरेंद्र मोदी का 100 दिन का एक्शन प्लान उनका अपना अप्रोच रहा है, जो टारगेट को कई हिस्सों में बांट देता है. इससे जवाबदेही सुनिश्चित करने के साथ ही लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलती है.
पोस्ट में बताया गया है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब 100 दिन के एक्शन प्लान में क्या-क्या काम किए गए. तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने लापरवाह नौकरशाहों पर नकेल कसने से लेकर नीलामी से मिले धन को बेटियों की शिक्षा में लगाया. इसके साथ ही एक्स पर अखबार की एक कतरन में मोदी की तस्वीर भी दिखाई देती है, तारीख 17.01.2002 लिखी गई है.
तब से 100 दिन का एजेंडा
शेयर की गई रिपोर्ट गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी सरकार के पहले 100 दिन पूरे करने के बाद की उपलब्धियों पर प्रकाश डालती है. लापरवाह नौकरशाहों पर नकेल कसने से लेकर नीलामी से प्राप्त धन को बेटियों की शिक्षा में लगाने तक उन्होंने कई उदाहरण पेश किए थे.
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सीएम नरेंद्र मोदी ने भूकंप पीड़ितों के साथ दिवाली मनाई और व्यक्तिगत रूप से आईएएस अधिकारियों के सामने उनकी दुर्दशा के बारे में भी बताया. जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने ग्राम सभाएं और लोक कल्याण मेलों की शुरुआत की, जिससे प्रशासन और लोगों के बीच दूरियां कम हो सके. ट्वीट में कहा गया कि इससे पता चलता है कि नरेंद्र मोदी के अप्रोच की तुलना ‘कर्मयोगी’ से क्यों की जाती है क्योंकि वह राजनीति से ज्यादा, लोगों की प्राथमिकता को महत्व देते हैं.
मोदी कह रहे, अभी तो ट्रेलर है