एनसीपी -क्या शरद पवार का भतीजे अजित से हो गया समझौता? पार्टी में फूट को लेकर कही ये बड़ी बात!
शरद पवार को यूं ही नहीं सियासत का सुरमा कहा जाता है. एक तरफ अजित पवार का विरोध तो दूसरी तरफ उनको अपना नेता बता रहे हैं.
शरद पवार के बारे में कहा जाता है कि उनकी सियासत को समझना नामुमकिन है, बगावत कर उनके भतीजे अजित पवार ने अलग राह पकड़ी और मौजूदा एकनाथ शिंदे-बीजेपी सरकार में हिस्सेदार हैं. उन्होंने जुलाई के महीने में शक्ति प्रदर्शन के जरिए यह दिखाया कि एनसीपी के ज्यादातर विधायक उनके साथ हैं लेकिन नेता तो शरद पवार ही हैं. यह बात अलग है कि शरद पवार कहते हैं जिन्हें उन पर भरोसा नहीं है वो उनकी तस्वीर का इस्तेमाल नहीं कर सकते. हालांकि सुप्रिया सुले के बयान जिसमें उन्होंने कहा कि अजित पवार नेता है एक बार फिर सस्पेंस गहरा गया कि शरद पवार किस तरह की राजनीति कर रहे हैं अब उन्होंने खुद कहा है कि इसमें कोई दो मत नहीं किया अजित पवार हमारे नेता नहीं है.
फूट तो तब होती है जब
शरद पवार का कहना है कि फूट की बात तब आती है जब राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा धड़ा पार्टी से नाता तोड़ ले. किसी तरह की कोई फूट नहीं है, अजित पवार हमारे नेता हैं. एनसीपी में किसी तरह का बिखराव नहीं है. पार्टी में आखिर फूट कैसे हुई. यह बात सच है कि कुछ नेताओं ने अलग रुख अपनाया है लेकिन उसे आप फूट नहीं मान सकते. लोकतंत्र में हर किसी को फैसला लेने का अधिकार हो सकता है.
जो डर गए वो बीजेपी के साथ गए
इससे पहले पुणे में 20 अगस्त को शरद पवार ने कहा था कि कुछ नेताओं ने पाला बदलकर अजित पवार के साथ जाने का फैसला किया जिनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा था.ये वो लोग हैं जो ईडी की जांच का सामना नहीं करना चाहते. यही नहीं कुछ नेता जो महाराष्ट्र सरकार में हिस्सा हैं उन्होंने तर्क पेश किया कि विकास के मुद्दे पर उनका समर्थन बीजेपी को है. इसी के साथ अनिल देशमुख का नाम लेकर कहा कि उनके जैसे लोग भी हैं जिन्होंने डरना कबूल नहीं किया और जेल में जाना स्वीकार किया. उन्हें खुद भी जांच से बचने के लिए बीजेपी के पक्ष में बोलने के लिए कहा गया था. उन्होंने किसी तरह का अपराध नहीं किया है लिहाजा वो अपने विचारधारा से जुड़े हुए हैं.
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सांत्वना एक्सप्रेस के लिए दिल्ली से ब्यूरो रिपोर्ट