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25 जुलाई बलिदान-दिवस अमर बलिदानी : श्रीदेव सुमन।

25 जुलाई बलिदान-दिवस अमर बलिदानी : श्रीदेव सुमन।

1947 से पूर्व भारत में राजे-रजवाड़ों का बोलबाला था. कई जगह जनता को अंग्रेजों के साथ उन राजाओं के अत्याचार भी सहने पड़ते थे. श्रीदेव ‘सुमन’ की जन्मभूमि उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में भी यही स्थिति थी. उनका जन्म 25 मई, 1916 को बमुण्ड पट्टी के जौल गांव में श्रीमती तारादेवी की गोद में हुआ था. इनके पिता श्री हरिराम बडोनी क्षेत्र के प्रसिद्ध वैद्य थे. प्रारम्भिक शिक्षा चम्बा और मिडिल तक की शिक्षा उन्होंने टिहरी से पाई. संवेदनशील हृदय होने के कारण वे ‘सुमन’ उपनाम से कवितायें लिखते थे.

अपने गांव तथा टिहरी में उन्होंने राजा के कारिंदों द्वारा जनता पर किये जाने वाले अत्याचारों को देखा. 1930 में 14 वर्ष की किशोरावस्था में उन्होंने ‘नमक सत्याग्रह’ में भाग लिया. थाने में बेतों से पिटाई कर उन्हें 15 दिन के लिये जेल भेज दिया गया; पर इससे उनका उत्साह कम नहीं हुआ. अब तो जब भी जेल जाने का आह्वान होता, वे सदा अग्रिम पंक्ति में खड़े हो जाते.

पढ़ाई पूरी कर वे हिन्दू नेशनल स्कूल, देहरादून में पढ़ाने लगे. इसके साथ ही उन्होंने साहित्य रत्न, साहित्य भूषण, प्रभाकर, विशारद जैसी परीक्षायें भी उत्तीर्ण कीं. 1937 में उनका कविता संग्रह ‘सुमन सौरभ’ प्रकाशित हुआ. वे हिन्दू, धर्मराज, राष्ट्रमत, कर्मभूमि जैसे हिन्दी व अंग्र्रेजी पत्रों के सम्पादन से जुड़े रहे. वे ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ के भी सक्रिय कार्यकर्ता थे. उन्होंने गढ़ देश सेवा संघ, हिमालय सेवा संघ, हिमालय प्रांतीय देशी राज्य प्रजा परिषद, हिमालय राष्ट्रीय शिक्षा परिषद आदि संस्थाओं के स्थापना की.

1938 में विनय लक्ष्मी से विवाह के कुछ समय बाद ही श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित एक सम्मेलन में नेहरू जी की उपस्थिति में उन्होंने बहुत प्रभावी भाषण दिया. इससे स्वाधीनता सेनानियों के प्रिय बनने के साथ ही उनका नाम शासन की काली सूची में भी आ गया. 1939 में सामन्ती अत्याचारों के विरुद्ध ‘टिहरी राज्य प्रजा मंडल’ की स्थापना हुई और सुमन जी इसके मंत्री बनाये गये. इसके लिये वे वर्धा में गांधी जी से भी मिले. 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में वे 15 दिन जेल में रहे. 21 फरवरी, 1944 को उन पर राजद्रोह का मुकदमा ठोक कर भारी आर्थिक दंड लगा दिया गया.

पर सुमन जी तो इसे अपना शासन मानते ही नहीं थे. उन्होंने अविचलित रहते हुए अपना मुकदमा स्वयं लड़ा और अर्थदंड की बजाय जेल स्वीकार की. शासन ने बौखलाकर उन्हें काल कोठरी में ठूंसकर भारी हथकड़ी व बेड़ियों में कस दिया. राजनीतिक बन्दी होने के बाद भी उन पर अमानवीय अत्याचार किए गये. उन्हें जानबूझ कर खराब खाना दिया जाता था. बार-बार कहने पर भी कोई सुनवाई न होती देख तीन मई, 1944 से उन्होंने आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया.

शासन ने अनशन तुड़वाने का बहुत प्रयास किया; पर वे अडिग रहे और 84 दिन बाद 25 जुलाई, 1944 को जेल में ही उन्होंने शरीर त्याग दिया. जेलकर्मियों ने रात में ही उनका शव एक कंबल में लपेट कर भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम स्थल पर फेंक दिया.

सुमन जी के बलिदान का अर्घ्य पाकर टिहरी राज्य में आंदोलन और तेज हो गया. एक अगस्त, 1949 को टिहरी राज्य का भारतीय गणराज्य में विलय हुआ. तब से प्रतिवर्ष 25 जुलाई को उनकी स्मृति में ‘सुमन दिवस’ मनाया जाता है. अब पुराना टिहरी शहर, जेल और काल कोठरी तो बांध में डूब गयी है; पर नई टिहरी की जेल में वह हथकड़ी व बेड़ियां सुरक्षित हैं. हजारों लोग वहां जाकर उनके दर्शन कर उस अमर बलिदानी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.

मलिन बस्तियों के चिन्हीकरण की रिपोर्ट 15 दिनों में शासन को भेजेंगे सभी जिलाधिकारी-मुख्य सचिव !

मलिन बस्तियों के चिन्हीकरण की रिपोर्ट 15 दिनों में शासन को भेजेंगे सभी जिलाधिकारी-मुख्य सचिव !

सीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारियों से नगर निगमों के तहत कार्य करने वाले सफाई कर्मचारियों की आवासीय व्यवस्था की रिपोर्ट भी तलब की

प्रवासी श्रमिकों की आवासीय व्यवस्था की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को ‘‘स्लम फ्री उत्तराखण्ड’’ विजन के साथ कार्य करने की नसीहत दी

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने सभी जिलाधिकारियों को मलिन बस्तियों का चिन्हीकरण कर 15 दिन में रिपोर्ट शासन को प्रेषित करने की डेडलाइन दी है। इसके साथ सीएस ने जिलाधिकारियों से नगर निगमों के तहत कार्य करने वाले सफाई कर्मचारियों की आवासीय व्यवस्था की रिपोर्ट भी तलब की है। मुख्य सचिव ने निर्माण स्थलों पर कार्य करने वाले प्रवासी श्रमिकों की आवासीय व्यवस्था की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

सचिवालय में शहरी विकास की राज्य स्तरीय अनुश्रवण समिति की बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को ‘‘स्लम फ्री उत्तराखण्ड’’ विजन के साथ कार्य करने की नसीहत दी है। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आगामी 15 दिनों से पहले जनपदों में अवस्थित मलिन बस्तियों के श्रेणीवार चिन्हांकन कर उनकी सूची शासन को प्राथमिकता के आधार पर भेज दी जाए। इसके बाद राज्य में अवस्थित मलिन बस्तियों में निवासरत परिवारों के जीवन स्तर में सुधार, मलिन बस्तियों के विनियमितीकरण, पुनरूद्धार पुनर्वास की कार्ययोजना पर कार्य किया जाएगा। मुख्य सचिव ने मलिन बस्तियों के सुधार हेतु विभिन्न राज्यों के मॉडल पर किए गए अध्ययन की अद्यतन प्रगति रिपोर्ट भी तलब की।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने विशेषरूप से जनपद टिहरी, रूद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी उधमसिंहनगर और चम्पावत के जिलाधिकारियों से और समय न लेते हुए यथाशीघ्र मलिन बस्तियों की वांछित सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, जिससे एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करते हुए प्रभावितों को प्रधानमंत्री आवास योजना या राज्य में प्रचलित अन्य उपयोगी एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करते हुए मलिन बस्तियों के निवासियों का पुनर्वासन एवं पुनर्व्यस्थापन किया जा सके।

बैठक में प्रमुख सचिव श्री रमेश कुमार सुधांशु, सचिव श्री आर मीनाक्षी सुन्दरम, श्री नितेश कुमार झा सहित अन्य अधिकारी एवं वर्चुअल माध्यम से आयुक्त गढ़वाल और कुमाऊ व सभी जिलाधिकारी उपस्थित रहे।

उत्तरखण्ड -अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होंगे राहत और बचाव दल-मुख्यमंत्री!

उत्तरखण्ड -अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होंगे राहत और बचाव दल-मुख्यमंत्री!

मुख्यमंत्री ने दिया आधुनिकतम तकनीक वाले उपकरणों को अपनाने पर जोर

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुपालन में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण राज्य में विभिन्न प्रकार की आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए आधुनिकतम तकनीक वाले राहत और बचाव उपकरणों की खरीद करेगा। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन के अनुसार, माननीय मुख्यमंत्री द्वारा उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन तथा राहत और बचाव कार्यों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने पर जोर दिया गया है।

शुक्रवार को सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन के समक्ष यूएसडीएमए भवन में एक निजी कंपनी ने विभिन्न प्रकार के उपकरणों का डेमो दिया। इनमें अंडर वॉटर रोबोट, लेजर कैमरा, फुलाकर बनाया जाने वाला रेस्क्यू सेंटर, सर्च ऑपरेशंस के लिए अत्याधुनिक कैमरा आदि शामिल हैं।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास श्री विनोद कुमार सुमन का कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा के दौरान त्वरित गति से राहत और बचाव कार्यों को अंजाम देने तथा आपदा प्रबंधन की दृष्टि से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर उपलब्ध आधुनिकतम तकनीक वाले उपकरणों का इस्तेमाल करने पर जोर दिया है।

उन्होंने कहा कि समय-समय पर विभिन्न कंपनियां अपने उपकरणों का प्रदर्शन करने के लिए पहुंचती हैं। शुक्रवार को भी एक कंपनी ने अपने उपकरणों का डेमो दिया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न तकनीकी व प्रशिक्षण संस्थाओं द्वारा उपयोग में लाई जा रही आधुनिक तकनीकी का अध्ययन कर उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के दृष्टिगत जो भी उपकरण उपयोगी पाए जाएंगे, निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए उनकी खरीद की जाएगी। यूएसडीएमए के विशेषज्ञों द्वारा भी ऐसे उपयोगी उपकरणों का परीक्षण कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देश हैं कि जिला प्रशासन, आपदा प्रबंधन विभाग, एसडीआरएफ, पुलिस, वन, लोक निर्माण विभाग, अग्निशमन विभाग तथा अन्य रेखीय विभागों के कर्मचारी, जो आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्य करते हैं, उनके पास अत्याधुनिक उपकरण हों ताकि अधिक से अधिक लोगों की जान-माल की सुरक्षा की जा सके।

इस मौके पर यूएसडीएमए के संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो0 ओबैदुल्लाह अंसारी, विशेषज्ञ रोहित कुमार, डॉ0 पूजा राणा, डॉ. वेदिका पंत, मनीष भगत, हेमंत बिष्ट, तंद्रीला सरकार, जेसिका टेरोन आदि मौजूद थे।
सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जी.ई.पी लागू होने से इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच बेहतर सामंजस्य !

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जी.ई.पी लागू होने से इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच बेहतर सामंजस्य !

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में पारिस्थितिकी को अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए ‘‘उत्तराखण्ड सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक’’ (जी.ई.पी) लॉच किया। जी.ई.पी का शुभारम्भ करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य है। उत्तराखण्ड सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक का आंकलन 04 मुख्य घटकों जल, वायु, वन और मृदा के आधार पर किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जी.ई.पी के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जी.ई.पी लागू होने से इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा। इस सूचकांक के परिणामों के विश्लेषण से भविष्य में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिलेगी। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में और जागरूकता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रकृति प्रदत्त अनेक प्रकार की वन संपदा है, आवश्यकता है इनके सदुपयोग की। हमें वृक्षारोपण के साथ जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड दुनिया को पर्यावरण के क्षेत्र में दिशा देने का कार्य करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण की दिशा में राज्य में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में अमृत सरोवरों की संख्या में तेजी से वृद्धि की जा रही है। जिलाधिकारियों, वन विभाग, सारा और अन्य कार्यदाई संस्थाओं को इनके संरक्षण और जल स्तर बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि 16 जुलाई से 15 अगस्त तक राज्य में बृहद स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत 01 लाख 64 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। हरेला पर्व के दिन 50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था। जनसहभागिता से भी वृक्षारोपण किया जा रहा है।
बैठक में हैस्को संस्था के प्रमुख पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने सकल पर्यावरण उत्पाद सूचकांक का प्रस्तुतीकरण करते हुए अवगत कराया गया कि विभिन्न विकासपरक योजनाओं, औद्योगिक प्रक्रियाओं व सरकार द्वारा बनाये गये नियमों इत्यादि के अनुपालन का जो परिणाम है वह सकल रूप से हमारी स्थानीय पर्यावरणीय गुणवत्ता पर देखने को मिलता है। पर्यावरणीय कारकों में हवा, पानी, मिट्टी, जंगल और अन्य कारकों में अगर सुधार हो रहा हो तो जीईपी सूचकांक में वृद्धि देखने को मिलती है। इससे ज्ञात होता है कि हमारा सिस्टम पर्यावरण के अनुकूल है और विकासात्मक गतिविधियों के बावजूद भी यह स्थिर और सुधारात्मक है। यदि हमारी पर्यावरणीय गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है और उसमें कोई गिरावट दिखायी दे रही है या उसमें कोई नकारात्मकता दिखायी दती है तो इससे जीईपी सूचकांक में गिरावट देखने को मिलती है।
इस अवसर पर वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद श्री विश्वास डाबर, मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव श्री आर. के सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे

हीमोफीलिया मरीजों को लेकर गंभीर सीएम धामी, कहा नहीं होने दी जायेगी हीमोफीलिया फैक्टर व दवाईयों की कोई कमी!

हीमोफीलिया मरीजों को लेकर गंभीर सीएम धामी, कहा नहीं होने दी जायेगी हीमोफीलिया फैक्टर व दवाईयों की कोई कमी!

राज्य में पंजीकृत हैं 273 हीमोफीलिया से ग्रसित रोगी, सरकार द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है हीमोफीलिया फैक्टर

राज्य में हीमोफीलिया मरीजों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बेहद गंभीर है। मुख्यमंत्री ने आज स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार से राज्य में हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों की संख्या व उनको मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विस्तार से जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिये हैं कि हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को हीमोफीलिया फैक्टर व दवाईयों की कोई कमी नहीं होने दी जाये। प्रत्येक मरीज को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले इसका पूरा ध्यान रखा जाये।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 273 हीमोफीलिया से ग्रसित रोगी पंजीकृत है। जिनके उपचार हेतु राज्य सरकार द्वारा आवश्यक हीमोफीलिया फैक्टर (सात, आठ व नौ) निःशुल्क उपलब्ध कराये जा रहे है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा पूर्व में हीमोफीलिया से ग्रसित रोगियों को फैक्टर हेतु राजकीय दून मेडिकल कॉलेज देहरादून, एस०एस० जे० बेस हल्द्वानी नैनीताल एवं संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार, पौडी जाना पडता है। परन्तु पिछले पाँच वर्षों से प्रदेश के सभी हीमोफीलिया के ग्रसित रोगियों को उपचार हेतु हीमोफीलिया फैक्टर उनकी निकटतम् चिकित्सा ईकाई पर उपलब्ध कराये जा रहे है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया वर्तमान में राज्य में फैक्टर-7 पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा शीघ्र ही सम्बन्धित चिकित्सा ईकाईयों को फैक्टर-8 और फैक्टर-9 भी उपलब्ध करा दिये जायेगें।

स्वास्थ्य सचिव ने अवगत कराया कि उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक को निर्देशित किया है कि वह ब्यक्तिगत रूप में प्रत्येक माह हीमोफीलिया से ग्रसित मरीजों को मिल रही सुविधाओं की समीक्षा करे तथा सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपने जिलों के जिला नोडल अधिकारियों को निर्देशित करें कि वह प्रत्येक माह हीमोफीलिया मरीजों को मिल रही सुविधाओं का संज्ञान ले व इस बीमारी को लेकर सरकार दुआरा निःशुल्क दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी आम जनता को उपलब्ध कराए।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि हीमोफीलिया एक वंशानुगत रक्त विकार है जिसमें पीडित व्यक्ति के खून का थक्का पूरी तरह नहीं बनता है। हीमोफीलिया पीडितों के खून में थक्का जमाने वाले आवश्यक प्रोटीन (फैक्टर) की कमी या अनुपस्थिति होती है और चोट लगने पर रक्तस्त्राव जारी रहता है। यह रोग आमतौर पर पुरुषों को प्रभावित करता है, महिलाओ में इस रोग के लक्षण अक्सर दृष्टिगोचर नहीं होते हैं पर वह रोग की वाहक होती है। कभी कभार यह रोग महिलाओ को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा हीमोफीलिया युक्त व्यक्तियों के रक्तस्त्राव तेज नही होता अपितु लगातार व लम्बी अवधि तक होता रहता है। सामान्य व्यक्ति, बाह्य चोट जैसे कटने, छिलने चोट लगने से बचाने का ध्यान रखता हैं, किन्तु हीमोफीलिया में बाह्य चोट के अलावा अंदरूनी रक्तस्त्राव भी बहुत गम्भीर हो सकता हैं। जिससे कि हाथ व पैरों के जोडों व मांसपेशियों के अकडाहट, दर्द, जोडों का खराब होना, विकलांगता और कई बार मृत्यु का कारण भी बन जाता है।

मा0 उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के अभियान एक पेड माँ के नाम का सुभारम्भ करते हुए पौधरोपण किया!

मा0 उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के अभियान एक पेड माँ के नाम का सुभारम्भ करते हुए पौधरोपण किया!

मा0 उपाध्यक्ष (राज्य स्तरीय) बीस सूत्री कार्यक्रम के नेतृत्व में अर्थ एवं संख्या निदेशालय, बीस सूत्री कार्यक्रम श्री ज्योति प्रसाद गैरोला, तथा जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी कार्यालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा वन प्रभाग की मल्हान रेंज में चयनित स्थल (सहंसरा कक्ष संख्या 1बी) में वन क्षेत्राधिकारी, मल्हान रेंज के साथ रहकर लगभग 50 पौधरोपण का कार्य किया गया। मा0 उपाध्यक्ष द्वारा अपने सम्बोधन में मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा चलाये जा रहे अभियान (एक पेड़ माँ के नाम) को आगे बढ़ाये जाने हेतु संदेश दिया गया। उन्होेंने यह भी कहा कि विभिन्न अवसरों पर भारी मात्रा में पौधारोपण किया जा रहा है किन्तु इसके जीवित रहने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हम सबका दायित्व है कि रोपित किये पौधे को जीवित रखने का भी प्रयास करें।
इस अवसर पर कार्यक्रम में अर्थ एवं संख्या निदेशक सुशील कुमार, अपर निदेशक पंकज नैथानी, संयुक्त निदेशक टी0एस0 अन्ना, श्री डी0सी0 बडोनी, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी शशि कान्त गिरि एवं गोपाल गुप्ता, वन क्षेत्राधिकारी अयामुद्दीन सिद्दकी सहित अर्थ एवं संख्या विभाग के अन्य कर्मचारी भी भारी संख्या में उपस्थित रहें।

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कार्यालय जिला सूचना अधिकारी देहरादून

सीएम धामी के निर्देशों पर फेरी-ठेली वालों को जारी होंगे पहचान पत्र, अनिवार्य रूप से करने होंगे प्रदर्शित!

सीएम धामी के निर्देशों पर फेरी-ठेली वालों को जारी होंगे पहचान पत्र, अनिवार्य रूप से करने होंगे प्रदर्शित!

-शहरी विकास निदेशालय ने समस्त नगर आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों को जारी किया पत्र

फेरी-ठेली वालों को जल्द पहचान पत्र प्रदान किये जायेंगे। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर इस संबंध में शहरी विकास निदेशालय की ओर से राज्य के समस्त नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारियों को पत्र जारी कर फेरी एवं ठेली वालों का विवरण जुटाने व पहचान पत्र जारी कर इन्हें अनिवार्य रूप से ठेली/फड़ पर प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं।
शहरी विकास निदेशक श्री नितिन सिंह भदौरिया की ओर से इस संबंध में समस्त नगर निकायों के नगर आयुक्त, अधिशासी अधिकारियों को पत्र जारी कर अपेक्षा की गई है कि वे अपने क्षेत्र में कार्यरत नगरीय फेरी व्यवसायियों की फेरी/ठेली में पहचान प्रदर्शित करने हेतु विवरण जुटाएं। पहचान पत्र में फेरी व्यवसायी का कोड, नाम, पता, फ़ोटो अंकित होने के साथ ही परिवार के किसी भी नाम निर्देशिता का नाम, श्रेणी(स्थिर या चल) के अतिरिक्त फेरी क्षेत्र जहां परिचय पत्र स्वामी को स्थिर या चल फेरी की अनुज्ञा के साथ ही अनुज्ञति कि विधिमान्यता का विवरण मांगा जाए। पत्र में स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि नगर के समस्त फेरी व्यवसायियों को फेरी-ठेली वालों को पहचान पत्र जारी कर अनिवार्य रूप से इसे प्रदर्शित करना होगा।

केदारनाथ के बहाने कांग्रेस सनातनी चोला पहनने की फिराक मे: चौहान!

केदारनाथ के बहाने कांग्रेस सनातनी चोला पहनने की फिराक मे: चौहान!

बद्रीनाथ को बौद्ध मठ कहने वाले सहयोगी तो खुद संभाली राम मन्दिर विरोध की कमान

राजनीति प्रायोजित यात्राओं का हस्र भी पहले जैसा निश्चित

देहरादून। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि हमेशा ही समुदाय विशेष के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस सनातन विरोध से ध्यान बांटने के लिए अब केदारनाथ के बहाने सनातनी चोला पहन रही है जो कि अल्प समय के लिए है।

कांग्रेस की कथित यात्रा के संबंध मे पूछे गए सवाल के जवाब मे चौहान ने कहा कि कांग्रेस की इस यात्रा का हस्र भी वही होगा जो कि पूर्व मे हुई यात्राओं मे हुआ था। दुष्प्रचार और उद्देश्यहीन इन यात्राओं का आयोजन महज राजनैतिक उद्देश्य के लिए होता रहा और जनता ने कोई तवज्जो नही दी। हालात यहां तक रहे कि इन यात्राओं मे खुद कांग्रेसी नही पहुंचे और यात्रा शुरू हुई, लेकिन कब समाप्त हुई पता नही लगा।

चौहान ने कहा कि केदारनाथ को लेकर स्थिति स्पष्ट है कि दिल्ली मे केदारनाथ धाम नही बन रहा है और ट्रस्ट ने साफ किया है कि मन्दिर धाम नही है और न ही वह इस शब्द प्रयोग करेंगे। सीएम ने शिलान्यास मे महज अथिति के रूप मे शिरकत की और उसका केदारनाथ के स्वरूप से कोई लेना देना नही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस खुद प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हिंदू सनातन संस्कृति का विरोध करती रही है और इसके कई उदाहरण सामने आते रहे हैं। कांग्रेस के सहयोगी सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य हिंदुओ के प्रमुख तीर्थ बद्रीनाथ को जब आठवीं सदी का बौद्ध मठ बता रहे थे तो तब कांग्रेसियों को सनातन के अपमान की चिंता नही हुई। राम मन्दिर के निर्माण को रोकने के लिए तमाम हथकंडे अपनाने और राम को काल्पनिक बताने पर कांग्रेस की मंशा को समझा जा सकता है। वहीं मुंबई मे बद्रीनाथ धाम का निर्माण करने वाली राज्य कांग्रेस चुप है।

उन्होंने कहा कि देश के करोड़ो सनातनियों ने कांग्रेस को जिस तरह उसकी तुष्टिकरण की नीति का जवाब दिया वह उसके बदलते रंग से वाक़िफ़ हैं। राज्य की जनता जानती है कभी मुस्लिम यूनिवर्सिटी, कभी जुमे की नमाज के लिए अवकाश सहित तमाम तुष्टिकरण के लिए निर्णय लेने वाले अब खुद को सनातन और सनातन के प्रहरी होने का दिखावा है जिसे जनता माफ नही करेगी।

मनवीर सिंह चौहान
प्रदेश मीडिया प्रभारी
भाजपा उत्तराखण्ड

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की दी शुभकामना

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की दी शुभकामना

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की शुभकामना देते हुए कहा कि यह पर्व उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण संरक्षण की हमारी परंपरा का प्रतीक है। हरेला न केवल हरियाली और समृद्धि का संदेश देता है, बल्कि हमें पर्यावरण की देखभाल के प्रति जागरूक भी करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला पर्व हमें अपनी धरती और पर्यावरण की देखभाल के प्रति प्रेरित करता है। आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध और स्वस्थ वातावरण देने के लिए वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या है, हरेला पर्व इसके प्रभावों को कम करने का भी सन्देश देता है।उन्होंने सभी प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि वे अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में जन सहभागिता को महत्वपूर्ण बताते हुए सभी सामाजिक संगठनों और संस्थाओं से भी सहयोग की अपील की है।

उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड अपने धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के लिए विख्यात है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। हमें अपने जल स्रोतों, नदियों और गदेरों के पुनर्जीवन और संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लोक पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत की पहचान हैं। राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। तभी हम अपनी सांस्कृतिक और पारंपरिक जड़ों से जुड़े रह पाएंगे और इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचा पाएंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहने और इसे अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाने की भी अपील की।

ई वेस्ट एकत्रित करने वाले सरकारी विभागों को नोटिस -मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी !

ई वेस्ट एकत्रित करने वाले सरकारी विभागों को नोटिस -मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी !

सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों को सख्ती से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन एवं मेडिकल वेस्ट डिस्पॉजल की पुख्ता व्यवस्था के कड़े निर्देश

स्वच्छता कर्मियों को हाथों के दस्ताने, मास्क, गमबूट्स उपलब्ध करवाने के निर्देश

कचरा बीनने वाले लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के निर्देश

प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट की सख्त निगरानी हेतु औद्योगिक ईकाईयों के नियमित निरीक्षण के निर्देश

बायोमेडिकल वेस्ट मेनेजमेंट के सम्बन्ध में प्रभावी सर्विलेंस सिस्टम विकसित करने के निर्देश

डिसेन्ट्रलाइज वेस्टवाटर ट्रीटमेंट सिस्टम को प्रोत्साहन

उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उन सभी सरकारी विभागों को नोटिस जारी करने जा रहा हैं जिनके द्वारा अनुपयोगी पुराने कम्पयूटर, प्रिन्टर, स्कैनर व मोबाइल जैसे ई वेस्ट अनावश्यक रूप से एकत्रित किए जा रहे हैं। सचिवालय में उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने ई वेस्ट मेनेजमेंट के सम्बन्ध में सख्त निर्देश दिए हैं। सीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों को सख्ती से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन एवं मेडिकल वेस्ट डिस्पॉजल की पुख्ता व्यवस्था के कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने विशेषरूप से सरकारी विभागों को इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की लापरवाही ना करने की सख्त हिदायत दी है। इसके साथ ही मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि कूड़ा प्रबन्धन एवं निस्तारण के कार्य में लगे स्वच्छता कर्मियों को हाथों के दस्ताने, मास्क, गमबूट्स तत्काल उपलब्ध करवाएं जाए।

पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति निधि के उपयोग के सम्बन्ध में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के तहत ठोस अपशिष्ट के संग्रहण, भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण के लिए बुनयादी सुविधाएं तैयार करने, नाडेप पिट के माध्यम से जैव खादों के उत्पादन, सामूहिक सफाई अभियान को प्रोत्साहित करने, सेनेटरी वेस्ट एवं घरेलू खतरनाक अपशिष्ट के एकत्रीकरण व निपटान की व्यवस्था तथा सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट के सम्बन्ध में कचरा बीनने वाले लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने प्लास्टिक वेस्ट मेनेजमेंट के तहत औद्योगिक ईकाईयों के नियमित निरीक्षण के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जब्त किए गए एसयूपी के परिवहन, रिसाइकिलिंग व निस्तारण के भी निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सीएस ने ऐसे व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों एवं संस्थानों को पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं जो प्लास्टिक कूड़े के पर्यारवणीय हित में प्रबन्धन के लिए कार्य कर रहे हैं।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने बायोमेडिकल वेस्ट मेनेजमेंट के सम्बन्ध में एक प्रभावी सर्विलेंस सिस्टम विकसित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए हैं कि पेरामेडिकल कार्मिकों के लिए बायोमेडिकल वेस्ट के सेगरिगेशन, स्टोरेज व निस्तारण के सम्बन्ध में प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाए।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने खतरनाक अपशिष्ट प्रबन्धन ( Hazardous waste management ) के तहत ऐसे लोगो के लिए कौशल विकास एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए हैं जो खतरनाक अपशिष्ट की हैण्डिलिंग, रिसाईकिलिंग व प्री प्रोसेसिंग के कार्यों को करते हैं। उन्होंने संभावित खतरनाक अपशिष्ट दूषित स्थलों के आंकलन के भी निर्देश दिए हैं।

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने कन्सट्रक्शन एण्ड डिमोलेशन वेस्ट मेनेजमेंट के तहत निर्माण एवं धवस्तीकरण अपशिष्ट की प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना एवं अपग्रेडेशन के निर्देश दिए हैं।

सीएस श्रीमती राधा रतूड़ी ने घरेलू अपशिष्ट जल के उपचार के सम्बन्ध में निर्देश दिए हैं कि डिसेन्ट्रलाइज वेस्टवाटर ट्रीटमेंट सिस्टम को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाए। इसके साथ ही क्यूनिटी सेनेटरी कॉम्पलेक्स को भी प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने उपचारित जल का प्रयोग पीने के अलावा अन्य कार्यों में उपयोग हेतु प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं। औद्योगिक अपशिष्ट जल के सम्बन्ध में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि कॉमन ट्रीटमेंट प्लान्ट के स्थापना के लिए गैप फण्डिग का उपयोग किया जाए। जलस्रोतों के पुनर्जीवीकरण हेतु सीएस ने निर्देश दिए हैं कि बाढ़ वाले मैदानी क्षेत्रों में वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने भूमिगत जल को रिचार्ज करने हेतु विशेष प्रयास के निर्देश दिए। इसके साथ ही मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने वायु प्रदूषण के प्रभावी नियंत्रण हेतु एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग नेटवर्क को सृदृढ़ करने के निर्देश दिए हैं।

बैठक में प्रमुख सचिव श्री रमेश कुमार सुधांशु, उत्तराखण्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।