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मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का पलीता आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के बर्खास्त गब्बर सुनील जोशी के तीन महा धुरंधर! आयुष विभाग के बॉस गहरी नींद में !

मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का पलीता आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के बर्खास्त गब्बर सुनील जोशी के तीन महा धुरंधर!
आयुष विभाग के बॉस गहरी नींद में !

मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का पलीता लगा रहे हैं कुछ खास अधिकारी

आयुर्वेद विश्वविद्यालय में एक बड़ा बबेला:-
बताते चलें कि आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना शासन द्वारा आयुष विभाग के अधीन प्रदेश को चिकित्सा क्षेत्र में अलग पहचान दिलाने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी योजना के साथ की गई थी परंतु रोज नए विवादों से सरकार हलकन हो गई है।
पिछले तीन सालों में भ्रष्टाचार के नए मानक गढ़ रहा है आयुर्वेद विश्वविद्यालय उसका एक उदाहरण देते हैं:
सरकार द्वारा उपकुलसचिव का 1 पद सृजन किया गया है जिसपर अधिनियम में नियुक्ति प्राधिकारी शासन है और हाई कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में शासन द्वारा संजीव कुमार पांडे को उपकुलसचिव पद पर पदोन्नति कर तैनात किया गया है।
परंतु बर्खास्त कुलपति सुनील जोशी द्वारा अपने स्तर से तीन तीन उपकुलसचिव की नियुक्ति पहले से ही कर दी गई थी –
1-डॉ शैलेंद्र प्रधान वैसे तो इनकी मूल नियुक्ति ऋषिकुल कॉलेज हरिद्वार में शिक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ाने की है लेकिन पिछले डेढ़ साल से देहरादून में उपकुलसचिव बन भंडार क्रय का काम कर रहे हैं, बर्खास्त कुलपति सुनील जोशी के कृपा पात्र हैं उन्हीं के साथ घूम रहे हैं अब इनका क्या होगा। अभी हाल में ही आयुष सचिव द्वारा इनको अवैध मानते हुए मीटिंग से भगाया गया था।उससे पहले ये शासन की बैठकों में भाग लेने और पत्र भेजने का काम कर रहे थे।
2-दूसरे रत्न डॉ बालकिशन पंवार इनकी मूल नियुक्ति भी बच्चों को पढ़ाने के लिए गुरुकुल कॉलेज हरिद्वार में है लेकिन पिछले तीन साल से बर्खास्त कुलपति सुनील जोशी द्वारा इन्हें कृपा कर उपकुलसचिव नियुक्त किया गया है,ये सुनील जोशी के खास सिपहसालार हैं अब इनका क्या होगा।
3-तीसरे उपकुलसचिव और बर्खास्त कुलपति सुनील जोशी सबसे खास डॉ संजय गुप्ता ऋषिकुल कॉलेज हरिद्वार में संविदा शिक्षक हैं जो पढ़ाने के बजाय संविदा शिक्षक होते हुए भी कृपा से उपकुलसचिव बना दिया गया ये भी शासन से अक्सर पत्र भेजकर अपनी उपस्थिति उपकलसचिव के रूप में दर्ज कराते हैं इतने महत्वपूर्ण कि विधानसभा प्रश्नों के जवाब भी यही अपने साइन से लगाते हैं।
प्रश्न है कि ये सभी लोग आयुष सचिव/राजभवन से लगातार तीन सालों से उपकुलसचिव की हैसियत से पत्राचार कर रहे हैं लेकिन हनक इतनी कि शासन/राजभवन से कभी आपत्ति भी नहीं जताई गई।
इन सभी के विरुद्ध विजिलेंस जांच के बाद मुकदमा दर्ज संख्या -2/23 में विवेचना चल रही है लेकिन बर्खास्त कुलपति सुनील जोशी की सरपरस्ती में बकायदा पद का लेटर पैड पर काम जारी है।
यक्ष प्रश्न है कि उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा कुलपति सुनील जोशी को बर्खास्त करने के बाद भी सरकार के आयुष विभाग के बॉस पंकज पांडे सचिव आयुष इन तीनों अवैध रूप से कार्यरत उपकुलसचिवों पर क्या कार्यवाही करता है या फिर इनकी गलत तरीके से नियुक्ति और भ्रष्टाचार पर पूर्व की भांति मूक दर्शक बना रहते हैं??
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में साथ दीजिए बॉस।

उत्तराँचल क्राइम न्यूज़ के लिए देहरादून से ब्यूरो रिपोर्ट।

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